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The murti, which can be also viewed by devotees as ‘Maa Kali’ presides around the temple, and stands in its sanctum sanctorum.  Right here, she's worshipped in her incarnation as ‘Shoroshi’, a derivation of Shodashi.

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥९॥

Every battle that Tripura Sundari fought is really a testament to her may along with the protective mother nature from the divine feminine. Her legends go on to encourage devotion and therefore are integral into the cultural and spiritual tapestry of Hinduism.

साम्राज्ञी चक्रराज्ञी प्रदिशतु कुशलं मह्यमोङ्काररूपा ॥१५॥

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१२॥

ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं  सौः

षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।

Shodashi Goddess has become the dasa Mahavidyas – the 10 goddesses of knowledge. Her title ensures that she is the goddess who is always 16 several years previous. Origin of Goddess Shodashi takes place soon after Shiva burning Kamdev into ashes for disturbing his meditation.

या देवी हंसरूपा भवभयहरणं साधकानां विधत्ते

मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।

प्रणमामि महादेवीं मातृकां परमेश्वरीम् ।

Her part transcends the mere granting of worldly pleasures and extends on the purification from the soul, leading to spiritual enlightenment.

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती read more हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥

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